महाभारत में एक कथा मिलती है। एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी, पुत्र और पुत्रवधू के साथ रहता था। कथा कहने से जो थोड़ा बहुत मिलता था, उसी में सब मिल जुल कर खाते थे। एक बार वहां अकाल पड़ गया। कई दिन तक परिवार में किसी को अन्न नहीं मिला। कुछ दिनों बाद उसके घर में कुछ आटा आया। ब्राह्मणी ने उसकी रोटी बनाई और खाने के लिए उसे चार भागों में बांटा। किंतु जैसे ही वे भोजन करने बैठे, दरवाजे पर एक अतिथि आ गया। ब्राह्मण ने अपने हिस्से की रोटी अतिथि के सामने रख दी, मगर उसे खाने के बाद भी अतिथि की भूख नहीं मिटी। तब ब्राह्मणी ने अपने हिस्से की रोटी उसे दे दी। इससे भी उसका पेट नहीं भरा तो बेटे और पुत्रवधू ने भी अपने-अपने हिस्से की रोटी दे दी। अतिथि सारी रोटी खाकर आशीष देता हुआ चला गया। उस रात भी वे चारों भूखे रह गए। उस अन्न के कुछ कण जमीन पर गिरे पड़े थे। नेवला उन कणों पर लोटने लगा तो जहां तक नेवले के शरीर से उन कणों का स्पर्श हुआ, उसका शरीर सुनहरा हो गया। यह अहसास होते ही कि ऐसा त्याग की महिमा के कारण हुआ है, नेवला सारी दुनिया में घूमता फिरा ताकि ऐसा ही त्याग खोज सके जिससे उसका बाकी शरीर भी सोने का हो जाए। उसने युधिष्ठिर के एक भव्य यज्ञ के बारे में सुना, जहां हजारों लोगों को भोजन दिया जा रहा था। यज्ञ के अंत में सोने के आधे शरीर वाला वह नेवला यज्ञ-भूमि में आया और हवन कुंड की राख में लोटने लगा। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। नेवले ने नतीजा निकाला कि हृदय से किए गए उस गरीब आदमी के त्याग में राजाओं के भव्य यज्ञों से अधिक शक्ति थी।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
🎋🌿🌾 *देवी माँ का नौवां स्वरूप- सिद्धिदात्री* 🌾🌿🎋
🌿🌿🌾 *नौवां नवरात्रा* 🌾🌿🌿 🎊🎊🎉☀ *आओ माता* ☀🎉🎊🎊 🎋🌿🌾 *देवी माँ का नौवां स्वरूप- सिद्धिदात्री* 🌾🌿🎋 👉 *शारदीय नवरात्र...

-
As we all of the devotees know that the devotee's Shiromani Shri Balaji Maharaj doesn't see the rule or law.Shri Balaji Mahar...
-
If you can laugh you will have many reasons to laugh. There is no measure of happiness that today, just a little work is done with happi...
-
👉पंचामृत व गंगाजल से होती है स्वयंभू बालाजी की पूजा -> मेहंदीपुर बालाजी में बालाजी की प्रतिमा स्वयं अवतरित हुई मानी जाती है।...
No comments:
Post a Comment