👉पंचामृत व गंगाजल से होती है स्वयंभू बालाजी की पूजा ->
मेहंदीपुर बालाजी में बालाजी की प्रतिमा स्वयं अवतरित हुई मानी जाती है। इसलिए दर्शनों के लिए हनुमान जयंती पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा। लाखों भक्त बालाजी के जयकारे लगाते हुए दर्शनों के लिए पहुंचे। सुबह से देर रात तक परिसर खचाखच भरा रहा। चहूं ओर बालाजी के जयकारे गूंज रहे थे। महाबली का जन्मोत्सव मनाने में भक्तों में भारी उत्साह देखा गया। सुबह महंत किशोरपुरी महाराज के सानिध्य में नरेशपुरी महाराज ने महाआरती की।अंजनीपुत्र बालाजी महाराज का अलसुबह पंचामृत व गंगाजल से स्वयंभू बालाजी का अभिषेक कर सोने का चोला चढ़ाया।
इसके बाद इत्र-केवड़ा का छिडकाव कर बालाजी महाराज के बालरूप की भव्य फूल बंगला व छप्पनभोग झांकी सजाई। सुबह करीब सवा सात बजे बजरंगी के जन्मोत्सव के साथ ही मंदिर के घंटे-घडिय़ाल बज उठे। बालाजी के २५१ किलो लड्डू का भोग लगाया गया। जन्मोत्सव के बाद बालाजी की महिमा पर प्रकाश डालते हुए सिद्धपीठ के महंत किशोरपुरी ने कहा कि बालाजी की महिमा का कोई छोर नहीं है। बालाजी की शक्तियां अद्भुत, अविश्वसनीय व अकल्पनीय होने से ही भक्तों की मनोकामना पूरी होती हैं।
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