हनुमान जी को महावीर और महाबली भी कहते हैं यानि वीरों का भी वीर.हनुमान जी ने भगवान श्रीराम के कार्य संवारने के साथ साथ अनेक बार अपनी वीरता सिद्ध की.
1.आकाश में उडकर सूर्य को निगल लेना-
जन्म के पश्चात ही उदित होते सूर्य को फल समझकर हनुमानजी ने उन्हें मुख में रख लिया था.
2.मातृशक्ति की रक्षा करना-राम-लक्ष्मण की सुग्रीव से भेंट कराने के लिए हनुमानजी प्रभु श्री राम और लक्ष्मन जी दोनों को अपने कंधे पर बिठाकर पंपा सरोवर के परिसर से ऋष्यमुख पर्वत तक वायु वेग से उडते हुए गये.सुग्रीव की पत्नी रूमा जब बाली के नियंत्रण में थी.उस समय वह जब भी हनुमानजी का स्मरण करती, हनुमानजी प्रकट होकर उसकी शीलरक्षा करते थे.
3.सीताजी की खोज-हनुमानजी ने समुद्र को लांघकर लंका में प्रवेश कर माँ सीता जी को खोज कर उनतक श्रीरामजी का संदेश पहुंचाया
4.इंद्रजीत ने जब राम-लक्ष्मण पर नागपाश डालकर उनको विष से मारने का प्रयास किया. तब हनुमानजी ने तत्परता से विष्णुलोक पहुंचे और गरुड जी से सहायता लेकर राम-लक्ष्मण को नागपाश से छुडाया.लक्ष्मणजी जब युद्ध में घायल हो गए थे तब उनकी मृत्यु न हो इसलिए हनुमानजी उत्तर दिशा में उडान भरकर वहां से संजीवनी वूटी से युक्त पूरा द्रोणागिरी पर्वत ही उठा लाए.
5.अहिरावण तथा महिरावण जब अपनी मायावी शक्तियों द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण को पाताल ले गए तब हनुमानजी पाताल गए तथा अहिरावण तथा महिरावण से युद्ध कर उनका संहार किया और श्रीराम-लक्ष्मण को सुरक्षित पृथ्वी पर ले आए.
6.हनुमानजी ने श्रीराम को अनेक अमूल्य सुझाव दिए जैसे विभीषण चाहे शत्रु का भाई हो.तब भी उसे मित्र के रूप में स्वीकार करें तथा सीताजी अग्नि से भी पवित्र है.इसलिए उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार करें.
7.श्रीरामजी के कहने पर आज्ञापालन के रूप में श्रीरामजी की अवतार-समाप्ति के पश्चात हनुमानजी ने लव-कुश को रामराज्य चलाने में सहायता की.
8.भगवान श्री कृष्ण की आज्ञा से हनुमानजी ने महाभारत युद्ध के समय अर्जुन के दैवी रथ पर आरूढ होकर धर्म की रक्षा की.श्रीकृष्णजी की आज्ञापालन के रूप में हनुमानजी ने सेवाभाव से भीम,अर्जुन,बलराम, गरुड तथा सुदर्शनचक्र के गर्वहरण का महान कार्य किया था.
9.हनुमानजी ने सेतु निर्माण के समय शिलाओं पर श्रीरामजी का नाम अंकित कर नल-नील की सहायता की.
10.हनुमानजी की पूंछ को आग लगाये जाने पर अग्नि की ज्वालाएं उनके शरीर को किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंचा सकी थीं इसके विपरीत हनुमानजी ने लंकादहन किया.
11.सप्तचिरंजीव के रूप में हनुमानजी रक्षा तथा मार्गदर्शन का कार्य करते हैं तथा कलियुग में भी जहां-जहां भगवान श्रीराम का गुणगान कथा कीर्तन श्री रामायण पाठ श्रीमद्भागवत होता है वहां हनुमान जी सूक्ष्म रूप में उपस्थित रहकर रामभक्तों को आशीर्वाद देकर अभय प्रदान करते हैं.
12.हनुमानजी की श्रीरामजी के प्रति असीम दास्यभक्ति तथा शौर्य के कारण उनके दास हनुमान तथा वीर हनुमान ये 2 रूप विख्यात हैं आवश्यकता के अनुरूप हनुमानजी इन रूपों को धारण कर उचित कार्य करते हैं.साधना करनेवाले किसी भी जीव को यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हनुमानजी के सूक्ष्म-रूप के कारण हमारे अंतःकरण में बसे अहंकाररूपी रावण की लंका का दहन करने पर हमारे हृदय में रामराज्य आरंभ होता है.
💐 जय महाबली हनुमान💐
✨🎆🍑🌾 श्री बालाजी सेवा समिति ✨🎆🍑🌾
Monday 3 June 2019
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