Thursday 26 March 2020

*प्रकृति का प्रकोप- कोरोना वायरस* 📝 *मेरी कलम से- उत्तम अग्रहरि*

👉🏻 *आप कैसे देखतें हैं इस महामारी को मै नही जानता लेकिन जैसे आकड़े चल रहें हैं अभी तक देख कर बहुत डर लग रहा है क्योंकि अभी तक कोई वैक्सीन निर्मित नही हो पायी है। बहुत तकलीफ होती है जब पता चलता है कि कोई अपना देशवासी भाई इस महामारी से जूझते हुए चल बसा। तकलीफ तो और भी तब होती है उसके पास उसका अपना कोई भी ना तो जीवित रहते और न ही मृत्यु उपरांत रह सकता है।*
  *ये विषाणु शरीर में प्रवेश करने के उपरांत कोशिकाओं को ही भोजन बनाकर अपनी संख्या इतनी तेजी से बढ़ा लेते है कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसके सामने बहुत तुच्छ प्रतीत होती है।*
*ये महामारी आयी कहाँ से क्या हो सकता है इसका मूल कारण.. क्या ये सवाल हम खुद से सोचनें का प्रयत्न नही कर सकते क्योंकि थोड़ा सा मंथन तो जरुरी है थोड़ा सा विचार तो जरुरी है।*
*किसी और से पूछने से पूर्व स्वयं विचार करके देखते है, खुद का हृदय टटोलतें हैं।*
  *१. क्या हम अपनी प्रकृति के साथ खिलवाड़ तो नही कर रहे हैं।*
*२. इस प्रकृति ने हमारे लिए जो भोजन निर्धारित किया क्या हम वही कर रहे हैं।*
👉🏻 *इस प्रकृति ने हमेशा सबके अनुरूप सबको अपनी झोली खोलकर जीवन को सुलभ बनाया।*
👉🏻 *प्रकृति ने एक बच्चे को क्या आहार चाहिए कब तक चाहिए उसके जन्म के साथ ही व्यवस्था कर दी । मांसाहार अपना भोजन नही है ये वो चीज नही है जो हम इंसानो के लिए बनी है। बहुत समय तक प्रकृति के विरुद्ध भारी संख्या में लोग मांसाहार करते आयें हैं। जरा विचार कीजिएगा क्या कोई जीव स्वेच्छा से तैयार होता है कि आप उसे खा सकतें हैं। लेकिन नही कुछ निर्दयी लोग जबरन उसे पकड़कर काटकर खा जाते हैं।*
*"येसा नही है वो असहाय तो होते है मजबूर तो होतें है लेकिन जिस प्रकृति के आंचल में पलते हैं उस प्रकृति माँ की तरफ बहुत असहाय दृष्टि से देखतें होंगे। शायद प्रकृति माँ को भी हर बार इंसानी भूल को माफ करने का धैर्य समाप्त हो गया। सजा तो मिलेगी भरपूर मिल रही है अब तो गेहूँ के साथ घुन भी पिस रहा है।"*
*आज कोरोना जैसी महामारी से ग्रसित होकर बहुत लोग दुर्भाग्यवश मृत्यु को प्राप्त होते जा रहे हैं। यह महामारी जीवन पर भारी प्रतीत होती जा रही है। आज श्री राम चरित मानस का एक प्रसंग याद आ गया यहाँ मै कोरोना की तुलना बाली से कर सकता हूँ जिसको ब्रम्हाजी से वरदान प्राप्त था उसके सामने किसी व्यक्ति के आते ही व्यक्ति का सारा बल और तेज उसमें समाहित हो जाता था। और येसा ही हो रहा है कोरोना की चपेट में आते ही सारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का पान कोरोना वायरस कर जाता है और अपने भीषण प्रकोप से व्यक्ति को चिरनिद्रा में ले लेता है। और बाली को तो सामने से कोई परास्त कर ही नही सकता था एक तो उसका अपना ही बाहुबल काफी था दूसरे से सामने वाले की शक्ति भी उसके शरीर में प्रवेश कर जाती थी। येसी विकट परिस्थिति में श्री राम प्रभु एक वृक्ष की ओट से उसका संहार करतें हैं। आज येसा प्रतीत होता है कि हमारे सारे डाक्टर्स श्री राम प्रभु बन कर क्लीनिक में उतर आयें है और खुद को एक लिबास में पूर्णतयः छुपाकर एक एक बालीरूपी कोरोना का संहार कर रहे हैं।*
*आज नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री से प्रार्थना करते हुये इस प्रकोप को यही रोकनें की कामना करता हूँ।*
*श्री बालाजी सेवा समिति ट्रस्ट नोएडा (रजि.-1631)*

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