Saturday 4 August 2018

श्री मेहंदीपुर बालाजी में दर्शन के नियम


कुछ महत्वपूर्ण नियम:- (Few Important Rule For visit of Mehandipur Bala Ji)

जैसा कि हम सभी भक्त जानते है कि भक्त शिरोमणि श्री बाला जी महाराज नियम या कायदा नही देखते है। श्री बालाजी महाराज जी हमारे मन का भाव देखते है। जैसा कि आजकल हमे फेसबुक एवं अन्य वेबसाइट पे देखने को मिलता है कि ये करना चाहिए, ये नही करना चाहिए? भक्तो इन सब में ध्यान न देकर आप बस अपने मन में श्री राम जी का नाम लीजिये। और श्री बालाजी महाराज के दरवार में आ जाइए। वहां पे सारे संकट पल भर में कट जाते है जी। हमारे श्री बाला जी महाराज जी बड़े ही दयालु है। उनके लिए सारे भक्तगण एक समान है चाहे वो पिछले 50 साल से बालाजी धाम आ रहा हो या पहली बार आया हो। फिर भी कुछ निम्न नियम है आप से विनम्र निवेदन है अगर आपको सही लगे तो कृपया इनका पालन अवश्य कीजिये ।
श्री बालाजी महाराज जी के दर्शन हेतु जाने वाले यात्रियों एवं श्रध्दालुओ को निम्नलिखित नियमो का पालन करना चाहिए
  1. सवेरे तथा शाम के समय सभी यात्रियो को श्री बालाजी महाराज जी के सम्मुख उपस्थित होना चाहिए तथा ध्यानपूर्वक भक्तिभाव से हरि कीर्तन व भजन सुनने और गाने चाहिए।
  2. समस्त श्रध्दालुओ को वहाँ रहते हुए दूसरे यात्रियो व श्रध्दालुओ के साथ स्नेह्पूर्ण व सहानभूति का व्यवहार रखना चाहिए।
  3. आरती के बाद सभी श्रध्दालुओ को श्री महन्त जी तथा अन्य भक्तो के साथ मिलकर दैनिक प्रार्थना-वन्दना करनी चाहिए। यहाँ आकर धैर्यपूर्वक रहना चाहिए तथा व्यर्थ का वार्तालाप नही करना चाहिए और श्रध्दापूर्वक प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
  4. जिन रोगियो को मार पड़ती हुई हो उनके लिए आस-पास की जगह खाली छोड देनी चाहिए तथा समस्त उपस्थित भक्तो को जयकारो व भजनो के अलावा कोई भी वर्तालाप नही करना चाहिए।
  5. सभी श्रध्दालुओ को श्री प्रेतराज सरकार जी के दरबार मे जाना चहिए और श्री महन्त जी के आदेश का पालन करना चाहिए और पूजा में व्यवधान नही डालना चाहिए।
  6. आरती सम्पूर्ण होने पर श्रध्दालुओ को ध्यानपूर्वक एवं श्रद्धा-भाव से श्री बालाजी की स्तुति प्रेम पूर्वक गानी चाहिए। श्रध्दालुओ को अपने हाथ से कोई भी पूजन सामग्री छूनी नही चाहिए। श्रध्दालुओ को चाहिए कि वे जब तक वहाँ रहे पूर्णतः ब्रह्मचर्य का पालन करे तथा माँस,मदिरा,प्याज आदि का सेवन न करे।
  7. मेहंदीपुर बालाजी दरबार मे (मुख्य मंदिर) के अन्दर बालाजी महाराज का प्रसाद (दो लड्डूऔ का पैकेट) प्रत्येक भक्त को श्रध्दापूर्वक दिया जाता है। यात्री उसे स्वयं ग्रहण करे तथा घर ले जाकर परिवार मे बाँट सकते है।
  8. श्री मेहंदीपुर धाम में किसी भी पंडित, ओझा या व्यक्ति विशेष के द्वारा संकट नही काटा जाता है यहाँ संकट श्री बाला जी महाराज ही काटते है तो कृपया किसी के भी बहकावे में आकर अपना धन एवं समय नष्ट न करे। बाला जी महाराज पे पूर्ण विश्वास करें वो ही आपका संकट काटेंगे।
किसी भी प्रकार अन्य जानकारी के लिए मंदिर के कार्यालय या दरवार के महंत जी या पुजारी जी से सम्पर्क करे।

श्री बाला जी महाराज जी के भोग

श्री बाला जी महाराज के दरवार में दरखास्त क्या होती है? अर्जी क्या होती है? सवामणि क्या होती या प्रसाद घर लाना चाहिए या नही? तो आइये जानते श्री बाला जी महाराज जी के भोग के विषय में- दरखास्त अर्जी सवामणि राज भोग श्री बालाजी महाराज का जल
1. दरखास्त :-
भक्तो श्री मेहंदीपूर धाम में हर भक्त को दरखास्त लगानी चाहिए ये दरखास्त आपको मंदिर परिसर के पास किसी भी दुकान से मिल जाती है। इस दरखास्त में लड्डू, बतासे ओर घी होता है ये 10 रुपये की आती है दरखास्त का सर्व-प्रथम भोग श्री बाला जी महाराज जी का भोग लगता है फिर भैरो बाबा और फिर प्रेतराज सरकार का भोग उसके बाद सभी भक्तो वो दरखास्त का दौना अपने उपर से उतार कर मंदिर परिसर के बाहर एक स्थान है वहाँ पे पशु-पक्षियों के लिए डाल दिया जाता है मेहन्दीपुर धाम में जब हम जाए तो आने की दरखास्त, और जब वहाँ से वापिस आएँ तो वापिस आने की दरखास्त, यदि कोई भक्त कम समय की वजह से दुबारा दर्शन नही कर पा रहे है तो वो भक्त आने-जाने की दरखास्त एक बार में भी लगा सकते है और वहाँ पे ऐसी मान्यता है कि की दरखास्त हर भक्त को लगनी चाहिए।
2. अर्जी :-
यदि हमारी कोई मनोकामना है या कोई प्राब्लम है तो उसके लिए हम श्री बाला जी महाराज जी के मंदिर में अर्जी लगाते है। अर्जी 181 रूपये की लगती है जिसमे बाला जी महाराज का लड्डू का भोग, भैरो बाबा का काली उर्द का भोग और प्रेतराज सरकार का चावल का भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की जब अर्जी स्वीकार हो जाती है तो कुछ भक्त बाबा के दरवार में सवामणि करते है ओर कुछ भक्त हर बार सवामणि करते है। अर्जी का भोग लगाने का टाइम प्रातः 7:30 से 12:00 बजे तक होता है अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार सवामणि का भोग लगाते है। नोट : - एकादशी के दिन श्री बाला जी मंदिर मे अर्जी का भोग नही लगता। यदि आपका अर्जी लगाना बेहद आवश्यक है तो आप लाल कपड़े में 181 रुपये बाँधकर श्री बाला जी महाराज के मंदिर मे अर्पित करें। क्योंकि अर्जी के भोग में प्रेतराज सरकार जी का चावल का भोग लगता है और एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित होता है। इसलिए एकादशी के दिन अर्जी नही लगती है।
3. सवामणि :-
श्री बालाजी महराज से मांगी कामना पूरी होने पर सवामणि का भोग लगाया जाता है । सवामणि के प्रसाद में हलुआ पूड़ी एवं लड्डू पूड़ी का भोग लगता है । सवामणि के भोग लगने का समय 11.30 बजे से लगभग 2.00 बजे तक होता है । सवामणि का भोग तीनो देव श्री बाला जी महाराज जी, श्री भैरव बाबा जी और श्री प्रेतराज सरकार जी का लगता है । सवामणि श्री राम दरबार में स्थित श्री राम दूत प्रसाद समिति द्वारा अथवा मंदिर के बहार किसी भी दूकान पर आर्डर करने पर आपको प्राप्त हो जाएगी । सवामणि का भोग स्वयं दरबार आकर लगवाना चाहिए ।
4. राज भोग :-
राजभोग मंदिर परिसर मे ट्रस्ट द्वारा लगाया जाता है जिसका भोग श्री बाला जी महाराज को लगाया जाता है, फिर सभी भक्तो को श्री बाला जी महाराज जी के दर्शन बाद राज भोग का प्रसाद मिलता है। भक्तो राज भोग अमृत होता है हमारे बालाजी महाराज जी का। राज भोग श्री बाला जी महाराज के भवन मे मिलता है ओर सभी भक्तो को प्रेम पूर्वक खाना चाहिए एवं घर ले जाना चाहिए।
5. श्री बालाजी महाराज का जल :-
श्री बालाजी के मंदिर की विशेषता है कि बालाजी मंदिर में सुबह और शाम को आरती के बाद बाबा के जल के छींटे मिलते है। जिस किसी व्यक्ति को इस जल के छींटे मिलते है वह बहुत भाग्यशाली होते है, क्योंकि बालाजी का जल अमृत समान है। श्री बालाजी महाराज की बाईँ ओर छाती के नीचे से एक बारीक जलधारा निरन्तर बहती रहती है जो पर्याप्त चोला चढ जाने पर भी बंद नही होती। भक्तजन यदि चाहे तो बाबा का जल जोकि सुबह मंदिर के हॉल में मिलता है उसको किसी बोतल या अन्य किसी चीज में अपने घर भी ले जा सकते है और यह जल गंगाजल के समान शुद्ध, पवित्र और उपयोगी होता है। इसिलए जब भी बालाजी धाम जाये और अगर हो सके तो बालाजी के जल के छींटे जरुर लें।
आरती का समय : ग्रीष्म कालीन
श्री राम दरवार
ग्रीष्म कालीन: सुबह 6:00 से 6:15
ग्रीष्म कालीन: शाम 7:00 से 7:15
श्री बाला जी दरवार
ग्रीष्म कालीन: सुबह 6:15 से 6:45
ग्रीष्म कालीन: शाम 7:15 से 7:45
आरती का समय : शीत कालीन
श्री राम दरवार
शीत कालीन: सुबह 6:10 से 6:25
शीत कालीन: शाम 6:20 से 6:35
श्री बाला जी दरवार
शीत कालीन: सुबह 6:25 से 6:55
शीत कालीन: शाम 6:35 से 7:05
आरती के संपूर्ण होने पर श्री बाला जी महाराज के जयकारों से पूरा मेहंदीपुर धाम गूँज उठता है और कुछ ही समय पश्चात श्री बाला जी महाराज के जल के छींटे मिलते है। छींटे मिलने के कुछ समय बाद श्री बाला जी महाराज जी के छप्पन भोग का प्रसाद वितरित किया
छपन्न भोग के प्रसाद के मिलने का समय :
श्री बाला जी महाराज जी के छप्पन भोग का प्रसाद श्री बाला जी भवन में शाम को 7:30 बजे से मिलता है एवं श्री सीताराम जी के छप्पन भोग का प्रसाद श्री राम दरवार में 8.30 बजे से मिलता है। श्री प्रेतराज सरकार के दरबार में दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक भजन कीर्तन होता है । भक्त अपना समय व्यर्थ न करके भजन कीर्तन का आनंद ले सकते है । श्री बालाजी महाराज जी की आरती के ठीक बाद समाधी वाले बाबा की आरती होती है । समाधी वाले बाबा का दिन में 12 बजे जलेबी का भोग लगता है। दिन में 12 बजे समाधी वाले बाबा के ठीक सामने हवन स्थली पर हवन होता है तथा आरती होती है भक्त वहां जाकर आरती के छींटे तथा परिक्रमा लगा सकते है।
नोट :
ये सब जानकारी हमने अपने निजी अनुभव से बताई यदि कोई त्रुटि हो तो कृपया सूचित करे। कृपया हमको बताए यदि कोई जानकारी सही ना हो या फिर कोई जानकारी रह गयी हो। ये हम सभी का एक बहुत छोटा सा प्रयास है श्री बाला जी महाराज जी की सभी जानकारियाँ आप सभी भक्तो तक पहुचाने का। आपके विचारो का सादर स्वागत है जी। जय सियाराम जी || जय हो मेरे बाला जी ||


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